गुरुवार, 18 सितंबर 2008

वक्त है मंथन का

विधान सभा चुनाव होने वाला है ऐसे में नेताओ के बीच टिकट को लेकर घमासान तेज हो गया है। लोग यहः भी समझते है कि टिकट के लिए क्यो लड़ते है फ़िर भी सही नेता का चुनाव नही कर पाते, यह भी कोई समझ से परे की बात नही है । ऐसे में इस बार गाँव से लेकर राजधानी तक की जनता को देने की जरुरत होगी । शिव खेडा जी के इस वाक्य को याद करने की जरुरत है , हम जिन्हें अपने बचों का गार्जियन नही बनाना चाहते उन्हें देश का गार्जियन बना देते है । तो वक्त है मंथन का ।





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