बुधवार, 24 सितंबर 2008
जरा सोचिये
दो वक्त की रोटी के लिए हर पल मशकत करते हाथ , हाथ में कटोरा लिए बच्चे , कूड़ा कचरे से कुछ आशा ,शराब दुकानों के आसपास खाली बोतल इकठ्ठा करते मासूम । क्या यही महान कहे जाने वाले भारत का भविष्य है । गरीबो के विकास का दावा करने वाले नेताओ - अधिकारियो को यह सब नजर आता है , उसके बाद भी उन्हें फर्क नही पड़ता । इनके दिल में गरीबो के लिए कोई जगह नही रह गया है । इसके खिलाफ लामबंद होने की जरुरत है ,अगर हम चुप बैठे रहे तो ये रोटी के अधिकार के साथ लोकतंत्र को भी छीन लेंगे ।
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1 टिप्पणी:
aap ne desh ke bare me sochne ko majbur kiya,aapke vichar kaphi utejak hai.
vijendra raipur
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