बुधवार, 19 नवंबर 2008

गरीबी की मार, सजा सूअर का कच्चा मांस

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले कुपोषित बच्चे सुअर का कच्चा मांस खाने मजबूर हैं। कुछ बच्चे इतने पतले हैं कि उनकी हड्डियां दिख रही है । तीन-चार साल के उम्र के अधिकांश बच्चों का पेट निकला हुआ है। गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने की बात तो दूर उन्हें योजनाओं के बारें में कुछ भी नहीं मालूम है । लेकिन विधानसभा चुनाव प्रचार करने वाले नेताओं की नजर जानबूझकर यह हालात नहीं देखना चाहती ।
रायपुर में रईसों की कमी नहीं है । इनके बीच एक ऐसा वर्ग भी है जिसके पास न तो रहने के लिए घर है और न ही बच्चों का पेट भरने के लिए अनाज । यह जरूर है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तीन रूपये किलों में चांवल दिया जा रहा है। रिंग रोड़ स्थित न्यू राजेन्द्र नगर के बजाज कॉलोनी के बाजू में रहने वाले झुग्गी झोपड़ी निवासी ठाकुर राम पटेल के चार बच्चे हैं और उसकी पत्नी गर्भवती है। विधानसभा चुनाव के एक दिन पहले यानी आज 19 नवम्बर की सुबह से दोपहर तक ठाकुर राम पटेल के बच्चों ने कुछ भी नहीं खाया था । सूअर का मांस उसकी मां काट रही थी और बच्चे उसे खा रहे थे । कच्चा सूअर का मांस खाने की बात किसी को सहसा यकीन नहीं होता लेकिन राजधानी के गरीबों के बीच जाकर हकीकत देखी जा सकती है।
ठाकुर राम पटेल का कहना है कि भाजपा तथा कांग्रेस वाले वोट देने के लिए शराब बांट रहे है । उससे उसका क्या होने वाला है। कम से कम उन्हें अनाज देना चाहिए ताकि वह बच्चों का पेट पाल सके। वह दिन भर कबाड़ का काम करने के बाद भी इतना नहीं कमा पाता कि दोनों वक्त की रोटी बच्चों को खिला सके। उसकी झोपड़ी में कांग्रेस और भाजपा दोनों का चुनावी झण्डा लहरा रहा है। वह कहता है कि दोनों पार्टी के लोग झण्डा लगाकर चले गये हैं, लेकिन किसी ने उनका दर्द समझने की कोशिश नहीं की ।
प्रस्तुतकर्ता-दिलीप जायसवाल

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