सोमवार, 17 अगस्त 2009

दस साल बाद मीडिया में ऐसे शीर्षक भी दिखेंगे...

देश ही नहीं बल्कि पूरी दूनिया में बहुत कम समय के भीतर अराजक स्थिति बन सकती है। ऐसे में अखबारों और टीवी चैनलों में काम करने वाले खबर नवीसों को इन शीर्षकों को जरुरत पड़ेगी।
१. पानी की तस्करी जोरों पर
२. पन्द्रह लीटर पानी की लूट
३. पानी चोरों से मुहल्ले वासी परेशान
४. पानी न देने पर पत्नी की हत्या, बच्चों के लिए रखी थी एक गिलास पानी
५. पानी का जखीरा मिला
६. पानी तस्करी के लिए खोजा नायाब तरीका, सायकल की डंडी के भीतर से डेढ़ लीटर पानी बरामद
७. सेंध मारकर पानी की चोरी
८. जूते में छुपाकर रखा था पानी
९. गांव वाले करते हैं क्षेत्र के एक मात्र तालाब का पहरा
१०. बेटी के साथ दहेज में दिया एक टैंकर पानी
११. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये अब मिलेगा पानी, राशन कार्ड पर लगेगी विशेष सील
१२. पुलिस ने दो युवक, एक वृद्ध और तीन युवतियों को नहाते पकड़ा, छुपकर नहाते पाये गये आरोपी
१३. पत्रकारों को पानी का कोटा, पीने के लिए दो लीटर प्रतिदिन, नहाने के लिए दस लीटर प्रति माह, टायलेट में पेपर का प्रयोग।
प्रस्तुत कर्ता दिलीप जायसवाल

2 टिप्‍पणियां:

राहुल सि‍द्धार्थ ने कहा…

ऐसे नहीं...ऐसे ही शीर्षक दिखेंगे...आज ही समाचार पत्र में पढ़ा एक पति ने पत्नी को चाकू मारा क्योंकि उसने पानी जमा किया था...यह लड़ाई अभी और फैलनी है...

चौहान ने कहा…

सहमत हू