बुधवार, 26 अगस्त 2009

सिद्धांत और विचारधारा जब जहर बन जाये...।

भारतीय जनता पार्टी अपनी संकीर्ण विचारधाराओं के कारण टूटती हुई दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री के पद को लेकर लोकसभा चुनाव के पूर्व दिखे मतभेद के बाद भाजपा में स्थिति अब काफी खतरनाक हो गई है। जसवंत सिंह को पार्टी से निकालने के बाद खुद को पार्टी का खेवनहार समझने वालों की मंसा भी साफ तौर पर दिखाई दी है। सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं की सोच भी सकारात्मक दिखी है। आडवानी के राजनैतिक सलाहकार सुधीन्द्र कुलकर्णी के पार्टी छोड़ने और फिर पत्रकार से राजनेता बने अरुण शौरी भी इससे काफी खफा हैं। शौरी ने तो पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के खिलाफ वो सब बातें कह डाली जो शायद अब तक पार्टी के किसी दूसरे नेता ने नहीं कही थी। हालांकि जसवंत सिंह को पार्टी से निकालने के बाद बनी स्थिति पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी की चिंता और बिगड़ रहे हालात पर संघ भी गंभीर हुआ है। संघ की यह गंभीरता ऐसे समय पर दिख रही है जब घर में आग लग चुकी है।
एक बात तो साफ है कि संघ जिस तरह भाजपा पर सिद्धांत और आदर्शवाद थोपने की कोशिश करता है, वह किसी भी मायने में वर्तमान भारतीय समाज के परिपे्रक्ष्य में सही नहीं है। इससे न तो पार्टी का और न ही देश का हित हो सकता है। इतना तो हमेशा याद रखना चाहिए कि कोई भी सिद्धांत हमेशा सर्वाग्राही होना चाहिए। जब संघ के आज्ञा पर पार्टी ने राम के नाम पर राजनीति करनी शुरू की तो उसका क्या हाल हुआ। वहीं राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जनता के जनादेश के पूर्व कमजोर प्रधानमंत्री की संज्ञा दे दी। सवाल उठता है कि पार्टी में जिस तरह से अस्थिरता का माहौल बना हुआ है वह अटल विहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में नहीं थी। उस समय भी आज पार्टी की नजरों में किरकिरी बन चुके नेता मौजूद थे।
सिद्धांतो में शायद उस समय ऐसी लालच नहीं थी, लेकिन अब लालच के साथ कट्टरता भरी सोच पार्टी को ले डूब रही है। वहीं काग्रेस इससे खुद को सुरक्षित और सुकून भरे माहौल में देख सकती है। यहां पार्टी और राष्ट्रवादी सोच की बात के साथ सोचने की जरूरत है कि ऐसी विचारधारा के साथ काम किया जाए जिससे देश हित सर्वोपरी हो। यह इसलिए भी क्योंकि लंबे समय तक जब किसी विचारधारा को रखा जाता है तो वह जहर बन जाता है और यह विचारधारा पार्टी और देश दोनों के लिए खतरनाक हो गई है।

दिलीप जायसवाल