रविवार, 22 फ़रवरी 2009

राजिम कुंभ पर संकट के बादल, आस्था की धरती के साथ मजाक


छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाने वाला राजिम कुंभ पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। राजिम कुंभ में शाही स्नान के लिए गंगरेल बांध का पानी भरना पड़ रहा है । राजिम का संगम स्थल जनवरी माह के अंत में ही सूख गया था। महानदी,सोढूर और पैरी तीनों नदियों का जल स्तर तेजी से घटा है। आश्वासन और दावों तथा चिंतन मंथन को छोड़ दिया जाए तो नदियों का जल स्तर बढ़े इसके लिए कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है। यही हाल रहा तो राजिम कुंभ में क्या श्रध्दालु रेत से स्नान करेंगे? मध्य प्रदेश से विभाजित होकर जब छत्तीसगढ़ राज्य बना और भाजपा की रमन सरकार आयी , राजिम में हर साल कुंभ का आयोजन शुरू हुआ, जो इस साल भी आयोजित की गई है। यहां साधु संतो का जमावड़ा भी लगा हुआ है । हालांकि इस साल पिछले वर्ष की तुलना श्रध्दालुओं की संख्या कम हुयी ही है साधु संतो में भी उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है। हालांकि प्रशासन की ओर से प्रयाप्त व्यवस्था है इन सब के बाद भी दूर दराज से आने वाले लोग जब इस बात से अवगत होते हैं कि वे जिस पानी से नहा रहें है वह किसी बांध का है । इससे उन्हें तााुब होता है कि तीनों नदियों के संगम में बांध का पानी लाना पड़ रहा है। पुणे से पत्नी के साथ पहुंचे स्वामी प्रेम बादशाह इस पर कहते हैं कि यह चिंता की बात है इस ओर ध्यान देने की जरूरत है । सिर्फ जागरूकता की बात करने से ही कुछ नहीं हो सकता । वे भी मानते हैं कि राजिम संगम स्थल सर्दी का मौसम खत्म होते-होते अगर सूख जाता है तो इसके लिए बहुत जल्द सरकार को गंभीर होने की जरूरत है नहीं तो राजिम महाकुंभ में शाही स्नान किस तरह हो पाएगा, यह भी चिंता की बात है।जहां एक ओर संगम स्थल पर सूखे की ग्रहण लगी हुयी है वहीं दूसरी तरफ कुछ साधु-संत तो राजिम कुंभ को महज सरकारी कार्यक्रम मानने लगे हैं। हरिद्वार से पहुंचे एक संत का कहना था कि ऐसा कोई माहौल या आस्था नहीं दिखाई देती कि यहां कुंभ का आयोजन हो। इसके अलावा एक संत ने तो यहां तक कह डाला कि राजिम कुंभ राजनीति का अखाड़ा बन जाए तो कोई बात नहीं। यहां उल्लेखनीय होगा कि राजिम में प्रवचन देने वाले साधु-संत धर्मान्तरण की बात कर समाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रहें है। वहीं कुछ सरकार या फिर नेताओं की तरफदारी कर यहां पहुंचने वाले श्रध्दालुओं एवं आस्था की भूमि के साथ मजाक कर रहें हैं।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अचंभित हूँ..कभी दशकों पहले मैं इसका भाग था.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

ह्म्म सही।
ये रपट हिंदुस्तान समाचार एजंसी में देखी थी।
आप वहीं काम कर रहे हैं इन दिनों?