बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

औद्योगिक विकास बना अभिशाप, हवा और पानी में जहर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तथा आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या लोगों की जान पर बन आई है। हवा और पानी लगातार प्रदूषित होती जा रही है। लोगों को कई प्रकार की बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। सिलतरा सहित दूसरे औद्योगिक क्षेत्रो में रहने वाले लोगों की हालत प्रदूषण के कारण लगातार बदहाल होती जा रही है और सरकार कुंभकर्णी नींद में सो रही है। मध्यप्रदेश से विभाजित होकर छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से यहां विकास के नाम पर उद्योगों की स्थापना तेजी के साथ हुई है। रायपुर के आसपास तेजी से स्पंज आयरन तथा दूसरी फैक्ट्रियां खुली, लेकिन प्रदूषण को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अधिकारी तथा नेता सिर्फ बात ही करते रहे और हालत अब बिगड़ चुका है। रायपुर शहर की बात करें तो यहां सांस लेना भी खतरे से खाली दिखाई नहीं दे रहा है। लोग इससे बचने के लिए चेहरे पर स्कार्फ बांधने के लिए मजबूर है। पेयजल भी प्रदूषित हो चुका है, लोगों को कई बिमारियायॊ का शिकार होना पड़ रहा है। सांस के मरीजो की संख्या तो दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। मौसम में भी प्रदूषण का प्रभाव दिखाई देने लगा है। वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण घनकचरा प्रबंधन का अभाव शहरों में मल निकासी मार्ग नहीं होने से भू-जल प्रदूषण पर कोई चिंता नहीं की जा रही है। राज्यपाल ने छह माह पूर्व औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा का दौरा किया था और प्रदूषण को लेकर चिंता जताई थी। अधिकारियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने का निर्देश भी दिया गया, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति ही हो पाई। उस समय उद्योगों में ईएसपी का उपयोग नहीं किये जाने की बात सामने आई थी इस पर भी राज्यपाल ने नाराजगी जताई थी। दुर्भाग्य की बात है कि इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है। ईएसपी के उपयोग से बिजली की खपत यादा होती है जिसके कारण उद्योग ईएसपी का उपयोग नहीं करते। सूत्रों की माने तो अभी भी उद्योगों द्वारा ईएसपी का उपयोग नहीं किया जा रहा है। पर्यावरण तथा उद्योग विभाग के अधिकारियों की माने तो उनके द्वारा उद्योगों को प्रदूषण पर गंभीर होकर ईएसपी का उपयोग करने निर्देश दिया गया है। सिलतरा औद्योगिक प्रक्षेत्र के सात-आठ गांव प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित है। प्रदूषण के कारण धान तथा दूसरी फसलें भी नहीं हो पा रही है। प्रदूषण इस तरह बढ़ गया है कि सुबह तक कार्बन की एक परत घरों में बन जाती है। वहीं दिनभर घर से बाहर रहने वाले लोग जब घर लौटते है तो चेहरे में भी कार्बन की परत दिखाई देती है। खेत मे लगे धान की बालियों में अंदर कार्बन भर जाता है। यह सब सरकार को भी मालूम है लेकिन सरकार भी अधिकारियों के सामने घुटने टेक चुकी है। वहीं अधिकारियों की माने तो वे सख्ती से कार्यवाही करते है तो नेता मंत्रियों का फोन घनघनाने लगता है। उन्हें धमकियां मिलनी शुरु हो जाती है। सिलतरा निवासी राजेश साहू का कहना है कि उनकी जिंदगी नरक बन गई है। प्रदूषण के कारण उनकी जिंदगी भी काले धुंए की तरह हो गई है। राजेश कहता है कि उसके आसपास के गांव के लोगों ने उद्योगों के लिए जमीन देकर बहुत बड़ी भूल की। वे चाहते है कि अब किसी भी गांव के लोग उद्योगों की स्थापना का पुरजोर विरोध करें नहीं तो उद्योग लग जाने के बाद वही हाल होगा जो सिलतरा प्रक्षेत्र में रहने वाले लोगों की है। राज्य में बिजली घरों की स्थापना के कारण प्रदूषण की समस्या और गंभीर हुई है। यह अलग बात है कि लोगों को भरपूर बिजली मिल पा रही है। कोरबा क्षेत्र में पावर प्लांट के कारण जल तथा वायु प्रदूषण दोनों ही गंभीर स्थिति में पहुंच गई है। केन्द्रीय प्रदूषण मंडल ने सन् 2006 में रिपोर्ट जारी किया था कि राय के रायगढ़ कोरबा और रायपुर में आर.एस.पी.एम. अर्थात वायु में मौजूद वो कण जो सांस के द्वारा शरीर के भीतर प्रवेश कर जाते हैं, इनका स्तर काफी बढ़ चुका है। प्रस्तुतकर्ता‍‍ दिलीप जायसवाल

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