शनिवार, 14 नवंबर 2009

डिग्री की अहमियत तुम समझते नहीं

आज पत्रकारिता विष्वविद्यालय में अपने ही बैच के एक छात्र से पत्रकारिता की डिग्री को लेकर बहस हो गई। उसका कहना था कि डिग्री मिलने पर वे इस क्षेत्र में अनुभव वाले व्यक्ति को पछाड़ कर पत्रकारिता के षिखर तक पहुंच सकते हैं। पत्रकारिता के अनुभव वाले व्यक्ति और सिर्फ डिग्रीधारी जब नौकरी मांगने कहीं जायेंगे तो डिग्रीधारी को ज्यादा महत्व मिलेगा।

मैं इसे स्वीकार नहीं करते हुए बोल रहा था, तो वह दूसरे क्षेत्रों का उदाहरण देने लगा। कुछ ही देर में वह सरकारी नौकरी में प्रमोषन के पेटर्न से इसे भी जोड़ने लगा। वह कहने लगा कि अगर 12वीं पास को तृतीय श्रेणी की नौकरी मिलती है तो ग्रेजुएषन वाले को दूसरे श्रेणी की नौकरी मिलती है।
उसकी समझ और उसके उदाहरणों के आगे मैं चुप रहना ही बेहतर समझा। मन ही मन सोचने लगा कि ये छह महीने बाद डिग्री लेकर निकलने वाला है। उसे रूटिन की रिपोर्टिंग कर दो काॅलम की खबर बनाने कह दिया जाये तो पत्रकारिता के प्लेटफार्म में पहुंचते ही खुद खबर बन जायेगा। मैं किसी डिग्री का अपमान नहीं कर रहा हूं। लेकिन यह सच्चाई मैंने कई बार अपने आंखों से देखी है। जब पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए हजारों-लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी कलम का सौदागर बनने की तमन्ना रखने वाले इसके प्लेटफार्म में आकर एबीसीडी सीखते हैं। -दिलीप जायसवाल

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